Raabta
Arijit Singh
4:04किसे पूछूँ है ऐसा क्यूँ बेजुबां सा ये जहां है खुशी के पल कहाँ ढूँढूँ बेनिशां सा वक़्त भी यहाँ है जाने कितने लबों पे गिले हैं ज़िन्दगी से कई फासले हैं पसीजते हैं सपने क्यूँ आँखों में लकीरें जब छूते इन हाथों से यूँ बेवजह जो भेजी थी दुआ वो जा के आसमां से यूँ टकरा गयी कि आ गयी है लौट के सदा जो भेजी थी दुआ आ आ वो जा के आसमां आ से यूँ टकरा गयी कि आ गयी है लौट के सदा रा रा रा रा रा आ आ रे रे आ आ रे रा रा रा रा रा आ आ रे रे आ आ रे साँसों ने कहाँ रुख मोड़ लिया कोई राह नज़र में न आये धड़कन ने कहाँ दिल छोड़ दिया कहाँ छोड़े इन जिस्मों ने साये यही बार बार सोचता हूँ तन्हाँ मैं यहाँ मेरे साथ साथ चल रहा है यादों का धुआँ जो भेजी थी दुआ वो जा के आसमां से यूँ टकरा गयी कि आ गयी है लौट के सदा जो भेजी थी दुआ वो जा के आसमां से यूँ टकरा गयी कि आ गयी है लौट के सदा रा रा रा रा रा आ आ रे रे आ आ रे रा रा रा रा रा आ आ रे रे आ आ रे जो भेजी थी दुआ आ आ आ वो जा के आसमां आ आ आ जो भेजी थी दुआ आ आ आ भेजी थी दुआ आ आ भेजी थी दुआ आ आ आ आ आ आ आ भेजी थी दुआ आ आ आ आ आ आ भेजी थी दुआ आ आ आ