Wahi Arjun Hu Mai
Ravan
4:36ॐ यस्याग्रे द्राट द्राट द्रुट द्रुट ममलमं टंट टंट टटंटम तैलं तैलं तुतैलं खुखु खुखु खुखुमं खंख खंख ख खंखम डंसं डंसं डुडंसं डुही डुही चकितं भूपकं भूयनालम् ध्यायस्ते विप्रगाहे सवसति सवलः पातुवः चंद्रचूड: जिया स्वाभिमान में जो वही दानव हूँ मैं जिसने जीते तीनों लोक वही मानव हूँ मैं सारे ग्रहों को है बाँधा करा काल भी अधीन महादेव का जो भक्त वही रावण हूँ मैं जिया स्वाभिमान में जो वही दानव हूँ मैं जिसने जीते तीनों लोक वही मानव हूँ मैं सारे ग्रहों को है बाँधा करा काल भी अधीन महादेव का जो भक्त वही रावण हूँ मैं रावण हूँ मैं, वही रावण हूँ मैं रावण हूँ मैं, वही रावण हूँ मैं रावण हूँ, रावण हूँ रव रव रव रव रा रा रा रा रा रा रा रा रावण हूँ मैं वेदों का है ज्ञान मुझमें, भक्त महादेव का सामने न टिकता मेरे स्वर्ग का कोई देवता मैं ही सर्वश्रेष्ट और मैं ही परम ज्ञानी हूँ इतनी योग्यता है, तभी थोड़ा अभिमानी हूँ मैं काल का स्वरूप, है विराट मेरा रूप महादेव ने दिया है चंद्रहास मेरे हाथ में नाम का प्रकोप तीनों लोक में है ऐसा मेरे नाम से हैं तीनों लोक थर थर काँपते पुत्र कैकसी का, जो भी सीखा, खुद से सीखा है पसंद मुझे जो विश्व में, वो सारा मैंने जीता नाना-नानी से समक्ष मेरा बाल्यकाल बीता जहाँ तंत्र-मंत्र माया का प्रयोग मैंने सीखा है ना दुखी कोई मेरे सम्राज्य में मुझसा ना पंडित, बस दानव का भेष है स्वर्ग जीता और तोड़ा इन्द्र के घमंड को लंका का राजा दशानन लंकेश मैं लंका का राजा दशानन लंकेश मैं लंका का राजा दशानन जिया स्वाभिमान में जो वही दानव हूँ मैं जिसने जीते तीनों लोक वही मानव हूँ मैं सारे ग्रहों को है बाँधा करा काल भी अधीन महादेव का जो भक्त वही रावण हूँ मैं जिया स्वाभिमान में जो वही दानव हूँ मैं जिसने जीते तीनों लोक वही मानव हूँ मैं सारे ग्रहों को है बाँधा करा काल भी अधीन महादेव का जो भक्त वही रावण हूँ मैं लाख बुरा कहते मुझको, पर वो ये भी जानते बहन के लिए मैं सीधा लड़ गया भगवान से भान था मुझे कि मेरी मृत्यु का संकेत है वो फिर भी वैर ले लिया था मैंने सीधा राम से आन की थी बात, तभी डाला मैंने हाथ तभी छल से लेके आ गया था सीता अपने साथ कभी स्पर्श ना किया था मैंने इच्छा के विरुद्ध क्योंकि बात वो जो थी, वो मेरी शान के खिलाफ इतना बल था मुझमें कि मैं राम को विवश करूँ कि युद्ध क्षेत्र में वो अपने शस्त्र धर ही देता मुझपे विजय पाना तो भगवान के भी वश में न था मेरा सगा भाई मेरा भेद अगर न देता कैलाश को उठाया मैंने साथ भोलेनाथ के भार फिर बढ़ाया मेरे नाथ भोलेनाथ ने हाथ मेरे दब गए थे नाथ के उस भार से स्रोत गाया मैंने, मेरे नाथ को पुकार के नाम की तरह वो मेरे शब्द भी अमर हुए भोलेनाथ के लिए जो छंद मैंने गाए थे मेरे जैसा योद्धा और कौन है हुआ यहाँ पे मैं वही हूँ जिसके वध को प्रभु स्वयं आए थे मेरे जैसा योद्धा और कौन है हुआ यहाँ पे मैं वही हूँ जिसके वध को राम स्वयं आए थे मैं वही हूँ जिसके वध को राम स्वयं आए थे मैं वही हूँ जिसके वध को राम स्वयं आए थे जिया स्वाभिमान में जो वही दानव हूँ मैं जिसने जीते तीनों लोक वही मानव हूँ मैं सारे ग्रहों को है बाँधा करा काल भी अधीन महादेव का जो भक्त वही रावण हूँ मैं जिया स्वाभिमान में जो वही दानव हूँ मैं जिसने जीते तीनों लोक वही मानव हूँ मैं सारे ग्रहों को है बाँधा करा काल भी अधीन महादेव का जो भक्त वही रावण हूँ मैं करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधं विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो