Shri Ramchandra Kripalu Bhajman - Ram Stuti

Shri Ramchandra Kripalu Bhajman - Ram Stuti

Ritesh Mishra

Альбом: Shree Ram Songs
Длительность: 3:11
Год: 2024
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Текст песни

श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥

भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥
शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥
इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥

मनु जाहि राचि उमि लहि सोबरु सहज सुंदर सांवरो।
करुणा निधान सुजान शील स्नेह जानत रावरो।
एहि भांति गौरी अशीष सुनि सिया सहित हिय हर्षि ली।
तुलसी भवानी पुजे पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली।
जानी गौरी अनुकूल सिये
हिय हर्षु न जाए कहीं। मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे
सियावर रामचंद्र की जय!