Saiyaan -Zan Mureed (Ost)
Sahir Ali Bagga
4:03ये मुमकिन तो नहीं जो दिल ने चाहा था वो मिल जाए कोई उम्मीद टूटे तो क्या करे ये मुमकिन तो नहीं जो दिल ने चाहा था वो मिल जाए कोई उम्मीद टूटे तो क्या करे जो देखे ख्वाब आँखों ने हकीक़त वो ना बन पाए जो किस्मत साथ ना दे तो क्या करे ये दिल जो रो रहा है तो कही से सब्र मिल जाए हुए जो बदगुमा हम तो क्या करे ये मुमकिन तो नहीं जो दिल ने चाहा था वो मिल जाए कोई उम्मीद टूटे तो क्या करे जो दिल के पास रहते है वो दिल क्यूँ तोड़ जाते है वफ़ा के बदले क्यूँ वो बेवफाई छोड़ जाते है कभी जो हमसफ़र थे अब वही अनजान लगते है मोहब्बतों के वो रिश्ते भी तो बेजान लगते है ख़ुशी के दर पे दस्तक दे रहे है गम मुसलसल क्यूँ कही ना चैन पाए तो क्या करे किसी से हमनवाई का सिला हमको ना मिल पाए हुए जो बदगुमा हम तो क्या करे ये मुमकिन तो नहीं जो दिल ने चाहा था वो मिल जाए कोई उम्मीद टूटे तो क्या करे किसी का साथ पाना भी कभी आसां नहीं होता किसी के दूर जाने से ये दिल वीरा नहीं होता वजह कुछ और भी मिल जाती है दुनिया में जीने की किसी की आस पे जीना भी तो आसां नहीं होता नसीबों में ही ना लिखा हो तो वो कैसे मिल जाए खुदा भी रूठ जाए तो क्या करे ये दिल जो रो रहा है तो कही से सब्र मिल जाए हुए जो बदगुमा हम तो क्या करे ये मुमकिन तो नहीं जो दिल ने चाहा था वो मिल जाए कोई उम्मीद टूटे तो क्या करे