Tanashahi
Shashwat Bulusu
5:36घूमा, मैं घूमा, मैं घूमा रहा झूमा रहा, मैं घूमा रहा रानी, ओ, धानी, परेशाँ हुआ ज़िंदा रहा, मैं घूमा रहा इन वादियों के घेरे में उड़ रहा है परिंदा इस शाम के साज़ में है तारों का घेरा कपकपी सी लगती है पर ये समाँ है सुनहरा नाच लेगी तू यहाँ मुझे है भरोसा घूमा, मैं घूमा, मैं घूमा रहा झूमा रहा, मैं घूमा रहा रानी, ओ, धानी, परेशाँ हुआ ज़िंदा रहा, मैं घूमा रहा इन जुगनुओं की बातों में है ख़ुशियों का साया आँखों में तेरे आँसू हों पोंछ ले तू काया दबी हुई है सारी मस्ती आ, क़ुदरत में बस जा कठिन नहीं है ज़िंदगी इसको जी लें, ये है आसाँ घूमा, मैं घूमा, मैं घूमा रहा झूमा रहा, मैं घूमा रहा रानी, ओ, धानी, परेशाँ हुआ ज़िंदा रहा, मैं घूमा रहा पंछियों के पीछे तारे यूँ भागे तोड़ दो शहर से बँधे वो धागे हरे महल की ये कहानी मैं लिखूँ आ, क़ुदरत का खेल देख ले तू घूमा, मैं घूमा, मैं घूमा रहा झूमा रहा, मैं घूमा रहा रानी, ओ, धानी, परेशाँ हुआ ज़िंदा रहा, मैं घूमा रहा घूमा, मैं घूमा, मैं घूमा रहा झूमा रहा, मैं घूमा रहा रानी, ओ, धानी, परेशाँ हुआ ज़िंदा रहा, मैं घूमा रहा ठहरा, तू ठहरा, यूँ ठहरा रहा मैं वादियों में घूमा रहा रानी, ओ, धानी, परेशाँ हुआ ज़िंदा रहा, मैं घूमा रहा