Raani
Shashwat Bulusu
4:53बतूनी तेरी ना मैं भी रह जाऊ भी तो लगता है भारी बतूनी तेरी ना मैं भी रह जाऊ भी तो लगता है भारी सुलादो ये रातें बताओ कहां थे? कहाँ तुमको खोजे गलीचों पे बैठे वो झूठी कहानी वो बिखरे गुलदस्ते समेटो सभी को यही तो सज़ा है तानाशाही तेरी हां मैं भी सेह जाउ भी तो लगता है खाली तानाशाही तेरी हां मैं भी सेह जाउ भी तो लगता है खाली देना इतना ये बाज़ारू बातें क्या इतना हां बात क्या महफ़ूज़ ना रहा इतना हां बात क्या सुन सियाही को कितना? के मैं भी बताऊंगा बोलके भी मिल्टा शाम कहीं शाम माई भी तू बता ज़रा तानाशाही