Kuch Kuch Hota Hai
Jatin-Lalit
4:58मेरा मन, क्यूँ तुम्हें चाहे मेरा मन? ना जाने जुड़ गया कैसे ये बंधन मेरा मन, क्यूँ तुम्हें चाहे मेरा मन? ना जाने जुड़ गया कैसे ये बंधन कैसी ये दीवानगी? कैसा ये दीवानापन? मेरा मन, क्यूँ तुम्हें चाहे मेरा मन? मैं दीवानी बन गई, तुमने ऐसा क्या किया? मेरी नींदें लूट ली, चैन भी मेरा लिया मेरा दिल, मेरी जान हो, तुम अभी नादान हो इश्क़ से अनजान हो मेरा मन, क्यूँ तुम्हें चाहे मेरा मन? "प्यार" कहते हैं किसे, होता है ये दर्द क्या आज पहली बार ये मैंने जाना, दिलरुबा जागी-जागी सो गई, किस जहाँ में खो गई क्या से क्या मैं हो गई मेरा मन, क्यूँ तुम्हें चाहे मेरा मन? ना जाने जुड़ गया कैसे ये बंधन कैसी ये दीवानगी? कैसा ये दीवानापन? मेरा मन, क्यूँ तुम्हें चाहे मेरा मन? मेरा मन, हो, मेरा मन