Ik Mulaqaat
Meet Bros
4:08दिल बता ना दिल्लगी कर के भला है क्या मिला चार दिन का इश्क़ था और उम्र भर का गम मिला आहि जाता हैं जुबान पर नाम उसका क्या करूँ ख़तम होता ही नहीं है दर्द का ये सिलसिला गम ख़ुशी सब एक लगते कैसे फर्क बताऊँ यारों रब से दुआ करो मैं उसको भूल जाऊं कब तक याद करू मैं उसको कब तक अश्क़ बहाऊँ यारों रब से दुआ करो मैं उसको भूल जाऊं यारों रब से दुआ करो मैं उसको भूल जाऊं यादों के सैलाब से कैसे अपनी जान बचाऊं यारों रब से दुआ करो मैं उसको भूल जाऊं ओ यारों रब से दुआ करो मैं उसको भूल जाऊं ज़िंदगी ले करके आयी जाने कैसे मोड़ पर एक तिनके का सहारा भी नहीं आता नज़र हो ज़िंदगी ले करके आयी जाने कैसे मोड़ पर एक तिनके का सहारा भी नहीं आता नज़र इश्क़ में बर्बाद होना खुशनसीबी हैं मगर क्या मिला इतना बता दे मेरे दिल को तोड़ कर चाहु भी तो अपनी कोई गलती ढूंढ ना पाऊं पाऊं यारों रब से दुआ करो मैं उसको भूल जाऊं कब तक याद करू मैं उसको कब तक अश्क़ बहाऊँ यारों रब से दुआ करो मैं उसको भूल जाऊं यारों रब से दुआ करो मैं उसको भूल जाऊं ओ तेरी याद ज़ेहन से जाये ना जाये ना (जाये ना जाये ना) कुछ राह समझ में आये ना आये ना (आये ना आये ना) एक लम्हे में सौ बार मरू मैं साँस पर ये चलती रहती ये इश्क़ किया क्यूँ सोच रहा हूँ खुद को हरपल कोस रहा हूँ बस रोज़ रोज़ की उलझन से मैं छुटकारा कैसे पाऊं ओ ओ ओ ओ ओ ओ इश्क़ आँखों से बहे कैसे इसे छुपाऊं यारों मिलके दुआ करो मैं उसको भूल जाऊं कब तक याद करू मैं उसको कब तक अश्क़ बहाऊँ यारों रब से दुआ करो मैं उसको भूल जाऊं यारों रब से दुआ करो मैं उसको भूल जाऊं