Jane Kahan Mera Jigar Gaya Ji - Unplugged
Ananya Dwivedi
3:00ये रौशनी के साथ क्यूँ धुआं उठा चिराग से ये रौशनी के साथ क्यूँ धुआं उठा चिराग से ये ख्वाब देखती हूँ मैं के जग पड़ी हूँ ख्वाब से अजीब दास्ताँ है ये कहाँ शुरू, कहाँ ख़तम ये मंज़िलें है कौन सी ना वो समझ सके, ना हम अजीब दास्ताँ है ये किसी का प्यार, ले के तुम नया जहाँ बसाओगे किसी का प्यार, ले के तुम नया जहाँ बसाओगे ये शाम जब भी आएगी तुम हमको याद आओगे अजीब दास्ताँ है ये कहाँ शुरू, कहाँ ख़तम ये मंज़िलें है कौन सी ना वो समझ सके, ना हम अजीब दास्ताँ है ये मुबारकें तुम्हें के तुम किसी के नूर हो गए मुबारकें तुम्हें के तुम किसी के नूर हो गए किसी के इतने पास हो के सबसे दूर हो गए अजीब दास्ताँ है ये कहाँ शुरू, कहाँ ख़तम ये मंज़िलें है कौन सी ना वो समझ सके, ना हम अजीब दास्ताँ है ये