Mahakal Darshan

Mahakal Darshan

Gajendra Pratap Singh

Альбом: Mahakal Darshan
Длительность: 4:33
Год: 2023
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Текст песни

पता नहीं किस रूप में आकार शिव शंकर मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह काल के दर्शन पाएगा
पता नहीं किस रूप में आकार शिव शंकर मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण में वह काल के दर्शन पाएगा

नर शरीर अनमोल है बंदे, शिव कृपा से पाया है
झूठे जग प्रपंच मे पड़के , क्यू जग को बिसराया है
नर शरीर अनमोल है बंदे, शिव कृपा से पाया है
झूठे जग प्रपंच मे पड़के , क्यू जग को बिसराया है
शिव शंकर का महामंत्र ही
शिव शंकर का महामंत्र ही, साथ तुम्हारे जाएगा
निर्मल मन के दर्पण मे, महाकाल के दर्शन पाएगा
पता नही किस रूप मे आकर, शिव शंकर मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण मे, महाकाल के दर्शन पाएगा

झूठ कपट निंदा को त्यागो, हर प्राणी से प्यार करो
घर पर आए अतिथि कोई तो, यथा शक्ति सत्कार करो
झूठ कपट निंदा को त्यागो, हर प्राणी से प्यार करो
घर पर आए अतिथि कोई तो, यथा शक्ति सत्कार करो
भोले इतना दीजिये
भोले इतना दीजियेगा, जामे कुटुम्ब समा जाए
मै भी भूखा ना रहु, साधु भी ना भूखा जाए
पता नही किस रूप मे आकर, शिव शंकर मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण मे, महाकाल के दर्शन पाएगा

दौलत का अभिमान है झूठा, यह तो आनी जानी है
राजा रंक अनेक हुए, कितनो की सुनी कहानी है
दौलत का अभिमान है झूठा, यह तो आनी जानी है
राजा रंक अनेक हुए, कितनो की सुनी कहानी है
निश्चय है तो भवसागर से
निश्चय है तो भवसागर से, बेड़ा पार हो जाएगा
निर्मल मन के दर्पण मे, महाकाल के दर्शन पाएगा
पता नही किस रूप मे आकर, शिव शंकर मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण मे, महाकाल के दर्शन पाएगा
पता नही किस रूप मे आकर, शिव शंकर मिल जाएगा
निर्मल मन के दर्पण मे, महाकाल के दर्शन पाएगा
निर्मल मन के दर्पण मे, महाकाल के दर्शन पाएगा