Main Shiv Ka Shiv Mere
Hansraj Raghuwanshi
4:54ओ शिव ध्यानी औघड़ ज्ञानी ध्यान को छोड़के मुझसे कभी तो तू ध्यान दे बरसो से बैठी चरणो में तेरे संग बैठने का मुझको जग में तू मान दे जब जब कष्ट है आया तीनो लोक में तूने हारा उसे ओ नाथ रे मेरे भी कस्ट को हरले तू भोले मुझको देदे सौगात रे तेरे बिन दिन कितने बीते अब ना लागे जी मोरा ओ अखियां खोल रे शिव भोले मैं हूँ तेरी गौरा ओ अखियां खोल रे शिव भोले मैं हूँ तेरी गौरा ओ अखियां खोल रे शिव भोले मैं हूँ तेरी गौरा और गौरा मैया कहती है शिव से की मैं शक्ति हूँ मैं ही तेरी सती हूँ जरा मुझको तो जान एक बार आखे खोल भोले और अपनी गौरा को पहचान सखियाँ छेड़े मुझको के शिव है अघोरी पर वो क्या जाने रे की शिव ने थामी मेरी डोरी दुख तू हरले गले तो लगाले कबसे हूं रूठी है मुझको मनाले जब तू अविनाशी तू क्यों है संन्यासी तू करता किसका ध्यान रे मैं तेरे प्रेम की प्यासी तू कैलाश का वासी भोले तू गौर की जान रे तेरे बिन दिन कितने बीते अब ना लागे जी मोरा ओ अखियां खोल रे शिव भोले मैं हूँ तेरी गौरा ओ अखियां खोल रे शिव भोले मैं हूँ तेरी गौरा हे आ या तो मुझको इंकार कर दो या फिर मुझको स्वीकार कर लो तेरे प्यार में हो होई खोई कितना हो मै रोयी भोले तुझको ना खबर बस अब ना सता मुझे और ना रुला अब और ना सबर प्राण मैं दे दूंगी अब तेरे आगे हमसफर फिर जग में ना कोई होगा महोबत का सफर ओ अखियां खोलदी अब शिव ने हा तुही मेरी गौरा ओ अखियां खोलदी अब शिव ने हा तुही मेरी गौरा ओ अखियां खोलदी अब शिव ने हा तुही मेरी गौरा ओ अखियां खोलदी अब शिव ने हा तुही मेरी गौरा अखियां खोलदी अब शिव ने हा तुही मेरी गौरा अखियां खोलदी अब शिव ने हा तुही मेरी गौरा