Narayan Mil Jayega
Jubin Nautiyal
4:41तेरे चरण में है मेरा माथा स्नेह तू ही तू ही नाता रा से शुरू और मा पे खत्म है दो अक्षरों की मेरी गाथा मेरे गगन की तू ही लाली तू ही दशहरा तू दीवाली हे राम तव शरणम श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय तारुनम नव कंजलोचन कंजमुखकर कंजपद कंजारुणम श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम मेरे मनोरथ हैं सारे तेरे बस में चाँद खिला दे रे घोर अमावस में लिख गए हैं बाबा तुलसी अपनी मानस में भक्तों को ठुकरा नहीं तू यूं ही तो कहलाता नहीं तू मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय तारुनम नव कंजलोचन कंजमुखकर कंजपद कंजारुणम श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम तुम चंद्रमा हम रैन रघव प्राण हो तुम साँस हम याचक तुम्हारे द्वार के हरि मेघ हो तुम प्यास हम लाएँ कहाँ से हे प्रभु हनुमान सा विश्वास हम पर रोम जितने तन में हैं हर रोम से हैं दास हम श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भव भय तारुनम नव कंजलोचन कंजमुखकर कंजपद कंजारुणम श्री राम श्री राम श्री राम श्री राम