Ruk Jana Nahin
Kishore Kumar
6:31कहाँ तक ये मन को अंधेरे छलेंगे उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे कहाँ तक ये मन को अंधेरे छलेंगे उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे कभी सुख कभी दुख यही ज़िंदगी हैं ये पतझड़ का मौसम घड़ी दो घड़ी हैं ये पतझड़ का मौसम घड़ी दो घड़ी हैं नये फूल कल फिर डगर में खिलेंगे उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे भले तेज कितना हवा का हो झोंका मगर अपने मन में तू रख ये भरोसा मगर अपने मन में तू रख ये भरोसा जो बिछड़े सफ़र में तुझे फिर मिलेंगे उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे कहे कोई कुछ भी मगर सच यही है लहर प्यार की जो कभीं उठ रही है लहर प्यार की जो कभीं उठ रही है उसे एक दिन तो किनारे मिलेंगे उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे कहाँ तक ये मन को अंधेरे छलेंगे उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे