Duvidha
Lucke
3:02मैं कृष्ण तुम्हारी राधा एक प्रेम की परिभाषा मैं सुनाती हूं आज अब तो लौट आओ कान्हा कैसा होता है त्याग कैसा होता है प्रेम मैं बताती हूं आज सुनके लौट आओ कान्हा आ जाओ इक बारी फिर ना लौट के ना जाना यमुना के किनारे श्याम मुरली धुन बजाना तरस रहे कानो को मीठी वाणी सुनाओ न अरज तौसे इतनी सी बस अब तो लौट आओ ना आके देखो मेरे श्याम जरा यहां का भी हाल गईया देखे राह तुम्हारी गोपियां बेहाल इनके आंसू लेते नहीं अब ना सूखने का नाम मैं क्या करू अब ऐसा जिस से मिले इन्हे आराम झूठे दे देके दिलासे अब मैं थक चुकी हूं आज सुन लो मेरी विनती अब तो लौट आओ श्याम ऐसी क्या मजबूरी है जरा हमको भी बताओ ना धर्म युद्ध तो खत्म हुआ फिर अब तो लौट आओ ना हम तो जानते है मोहन पूरा आपका भी त्याग सब कुछ तुमने छोड़ दिया कुछ भी ना रखा पास बंसी भूले , यमुना भूले भूले गोकुल ग्वालों को फिर से आके देखो ना एक तुम ही तो रखवाले हो अब दिल नहीं लगता यहां पर किसी कोई काम में माखन से भी जी भर गया सूना सूना जहान है हम सबका ऐसा हाल है तुम जरा भी याद नहीं करते ऐसे कैसे रह जाते हो क्यूं थोड़ा विचार नहीं करते मैं मान नहीं सकती कान्हा तुम्हे याद मेरी ना आती हो रोज तरसते हो दीदार को झूठी मुस्कान दिखाते हो अधबुद्ध तुम्हारा धैर्य पलको पर रोके आंसू को यह सब कैसे कर लेते हो सीखा दो गोकुलवासी को सब कब से आस लगा बैठे पर तुम कभी ना आते हों ये गईया सारी मौन है किसी से दुख ना बांटे वो सबको छोड़ो मोहन तुम यमुना खातिर आ जाओ ना वो भी तो खामोश है किनारे नहाने जाओ ना अब वो भी सहमी रहती है धीरे – धीरे से बहती है दर्द छुपा के बैठी वो किसी से दुख ना कहती है आ जाओ बस एक बार फिर वापस जाने दूंगी नहीं पर मेरे मुरली धर तुम बस एक बार तो आओ ना कितने बदल गए हो तुम अब राज्य को संभाले हो वृंदावन को भूले हो तुम कितने हिम्मतवाले हो संभालते हो द्वारिका क्यूं ब्रज की याद नहीं आती पल में सबको छोड़ गए क्या गलियां याद नहीं आती ये प्रियतमा तेरी याद में अब दिन रात ना सोती है मेरी भी थोड़ी लाज रखो क्या मेरी याद नहीं आती कैसी विपदा आई है और कैसा मंजर सामने नयन ढूंढ रहे है आपको मिलन के इंतजार में सब दुविधा जाने आपकी पर कष्ट मेरे ना जाने कोई आंसू तो सबके सच्चे है ना लगाते बहाने कोई पीड़ा हरते दुनिया की मेरे अश्रु क्यूं दिखते नहीं अब बहते है निरंतर मेरी आंखों से ये रुकते नहीं तुम युद्ध से परे होके सुदर्शन को आराम दो कुछ वक्त के लिए ही सही पर बांसुरी को थाम लो बरसो से तरसे कानो को मीठी वाणी सुनाओ ना और विलंब ना करो मोहन तुम अब तो लौट आओ ना मेरी अंतिम स्वाशे बाकी है जाने कब तक संसार में प्राण देह से छूट रहे और कितना करू इंतजार मैं ये सूखे जाए आंसू मेरे नैनो को सुखाओ ना मेरी देह से निकले प्राण उस से पहले मिलने आओ ना अब कामना केवल इतनी सी बच्ची मेरी कोई आस नहीं मुक्ति मिले संसार से तब रहूं आपके पास में आपकी गोद में हो मस्तक मेरा हाथों में बांसुरी आखिरी मेरी ख्वाइश है कान्हा कर देना पूरी आखिरी मेरी ख्वाइश है कान्हा कर देना पूरी