Mere Mehboob Ruk Jao

Mere Mehboob Ruk Jao

Mohd. Aziz | Anuradha Paudwal

Альбом: Hamara Khandan
Длительность: 5:35
Год: 1988
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Текст песни

मेरे महबूब रुक जाओ
अभी अफ़साना बाकी है
अभी बेदर्दी दुनिया से
ज़रा टकराना बाकि है
तुम्हारा चाहने वाला
अभी दीवाना बाकि है
तुम्हारा चाहने वाला
अभी दीवाना बाकि है
तुम्हारा चाहने वाला

मेरे महबूब रुक जाओ
तुम्हारा चाहने वाला
अभी दीवाना बाकि है
तुम्हारा चाहने वाला
अभी दीवाना बाकि है

अभी तो अपने रूठे है
पराये भी खफा होंगे
अभी तो अपने रूठे है
पराये भी खफा होंगे
इसी महफ़िल में मेरे
प्यार के वादे वफ़ा होंगे
ये शमा बुझ नहीं सकती
ये शमा बुझ नहीं सकती
अभी परवाना बाकि है
ये शमा बुझ नहीं सकती
अभी परवाना बाकि है
मेरे महबूब
हमारा चाहने वाला
अभी दीवाना बाकि है

जिनकी गर्दन पे छुरी
होठों पे ठाले होंगे
इस जहा में वही सच
बोलने वाले होंगे
हमारे लब पे ताले और
गर्दम पे छुरी होगी
हमारे लब पे ताले और
गर्दम पे छुरी होगी
रिवाजो की अदालत में
हमारी हाजरी होगी
अभी इलज़ाम लग्न है
अभी इलज़ाम लग्न है
अभी जुरमाना बाकी है
अभी इलज़ाम लग्न है
अभी जुरमाना बाकी है
मेरे महबूब
तुम्हारा चाहने वाला
अभी दीवाना बाकि है

हमें परवाह नहीं सागर के तुफानो से खेले गए
तुहे दिल दिया हमने तुहे जान तक दे दे गए
अभी कुर्बानिया होगी
अभी कुर्बानिया होगी
अभी नजराना बाकी है
अभी कुर्बानिया होगी
अभी नजराना बाकी है
मेरे मेहबूब
हमारा चाहनेवाला अभी दीना बाकी है
तुम्हारा चाहने वाला
अभी दीवाना बाकि है