Lo Jaa Raha Hai Koi

Lo Jaa Raha Hai Koi

Mohd. Aziz

Альбом: Aulad
Длительность: 4:42
Год: 1987
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Текст песни

अपनी बाहर देके
सज़ा के किसी का घर
दामन में सारी दुनिया
के काँटे समेटकर
लो जा रहा हैं लो जा रहा है
लो जा रहा हैं
खाख उड़ाता हुवा कोई
खुद अपने घर को
आग लगता हुवा कोई
लो जा रहा हैं
खाख उड़ाता हुवा कोई
खुद अपने घर को
आग लगता हुवा कोई
लो जा रहा हैं लो जा रहा है

कुदरत से जो मिली थी
खुशी वो भी बाँट दी
कुदरत से जो मिली थी
खुशी वो भी बाँट दी
कंधे पे गम का बोझ
बनी है ये ज़िंदगी
इंसानियत की शान बड़ता हुवा कोई
लो जा रहा हैं लो जा रहा हैं
लो जा रहा हैं
खाख उड़ाता हुवा कोई
खुद अपने घर को
आग लगता हुवा कोई

आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ

आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ

खुद अपनी ज़िंदगी में
अंधेरा किए हुए
खुद अपनी ज़िंदगी में
अंधेरा किए हुए
आँखो में अपनी
सेंकडो तुफ़ा लिए हुए
उम्मीद के चिराग बुझता हुवा कोई
लो जा रहा है लो जा रहा हैं
लो जा रहा है
खाख उड़ाता हुवा कोई
खुद अपने घर को
आग लगता हुवा कोई
लो जा रहा हैं
लो जा रहा है लो जा रहा हैं
लो जा रहा है