Kuch Saal Pehle
Pathak, Sukhoon, & Abs
4:21आ आ आ आ आ ना पता मुझे ढूंढूं हर गली में हर ठिकाने उसको (आ आ) वो आती जाती है ख्यालों में जगाने मुझको (आ आ) ना भरते पाने में लिखूं कुछ भी जब बारे उसके (आ आ) बस जलते ज़ख्म जब लिखूं मैं उसके बारे कुछ तो (आ आ) हाँ ढूंढा शहरों में चेहरों में हर ठिकाने उसको (आ आ) क्या मुझको आज भी पहचानेगी क्या याद उसको (आ आ) सवाल पूछने को आया तो किताब लिख दूं (आ आ) जवाब देने का समय न हो तो बात सुन तो (आ आ) हाँ तेरे जाने के बाद है मेरा हाल कैसा (आ आ) चुभन है दिल में मान है भारी और उदास चेहरा (आ आ) मेरे बागीचे में खिले बहुत से गुल कसम से (आ आ) पर तेरे नाम पर बागीचा तू कमाल ऐसा (आ आ) तो है खिला या अब किसी ने है उखाड़ फेंका (आ आ) वो जुगनू सी थी जगमगाती उसका हाल कैसा (आ आ) सवाल पूछने को आया तो किताब लिख दूं (आ आ) छोड़ो जाने दो अब जनाज़े पर जवाब देना (आ आ) तुझको चांद कहूं चमकती बेमिसाल है (आ आ) पर तुझको चांद क्यों कहूं लगे तो उसमें दाग है (आ आ) मैं तुझको फूल सा कहूं सुगंध क्या बेमिसाल है (आ आ) पर तुझको फूल क्यों कहूं मुरझाता वो भी बाद में (आ आ) मैं तुझको कुछ भी कहूं तो ये कलम में दाग है (आ आ) मैं तुझको रब का दर्जा दूं तो ये खुदा नाराज़ है (आ आ) तुझको सब्र से पढ़ा पसंदीदा किताब है (आ आ) तो सच में है भी की कहीं पहाड़ों के उस पार है (आ आ) तो लैला मजनू वाली लहना और मैं इंतज़ार में (आ आ) कभी कभी मैं सोचूं छोड़ दूं बेवफा मान के (आ आ) क्यों तेरी आस में तबाह करूं मैं खुद को प्यार में (आ आ) मेरे दिल को न कदर वो है तबाह तो जान ले (आ आ) है उसको खुद भी न पता तो है कहां बस आस में (आ आ) और मैं कलम से उसकी बात लिख रहा किताब में (आ आ) कभी मैं दिखना बंद हुआ तो हां पहाड़ों पार में (आ आ) वही कबर है मेरी मजनू तेरे इंतज़ार में (आ आ) आ आ आ आ आ फरिश्ते आके तेरे बारे में बता गए हैं मैं करा वक्त ज़ाया अपना वो जता गए हैं तो उसकी है तलाश कर रहा वो पा चुकी किसी को अपने घर पे किसी और को बसा चुकी है वो खुश अब संग किसी के उसके न ख्यालों में है तू फिर मुझको क्यों ख्यालों सपनों में सता रही है मेरे मन में कुछ सवाल फिर से आ चुके हैं ये मुझको जीने भी न देते मुझको खा रहे हैं क्या उसके घर पे है पता क्या उसकी मां को भी पसंद वो (आ आ) उसके माथे को वो चूमे या वो नोचे सिर्फ जिस्म क्यूं (आ आ) उसने पूछा क्या पसंद किस रंग का फूल या सुगंध क्या (आ आ) उसकी गलती पर भी माफी मांगे भले न हो गलत वो (आ आ) उसकी आंखों से वो डरता फिर भी आंखें हैं पसंद क्यूं (आ आ) उसकी खुशी की वजह या उसकी गलती का सबक वो (आ आ) कितने सवाल मन में कितने कर दिए दफन अब (आ आ) क्योंकि मर चुका है दिल न है पता फिर क्यूं पसंद तू