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Pathak, Sukhoon, & Abs - Kuch Saal Pehle | Скачать MP3 бесплатно
Kuch Saal Pehle

Kuch Saal Pehle

Pathak, Sukhoon, & Abs

Альбом: Kuch Saal Pehle
Длительность: 4:21
Год: 2025
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Текст песни

कुछ साल पहले मैं भी डूबा, प्यार में पड़ा था
मैं इश्क़ के समुंदर बीच नाव में खड़ा था
पर जानता ज़माना हर किताब में लिखा है
फिर भी पढ़के मैं अंजाम उसी नाव पे खड़ा था

वक़्त बीता, नाव धीरे धीरे डूबने लगी
निगलने आया ये समुंदर, लहरें गूंजाने लगी
और एक हवा का झोंका आकर मेरे कानों के पास बोला
लहरों के सवाल, क्या मैं पूछूं, क्या सही?
तुझको डर नहीं आए आशिक़? इश्क़ में क्या अक्सर होता है
ये सच्चे प्यार वालों का इश्क़ का समुंदर होता नही

ये तेरी ज़ेब में कलम है, इसका मतलब
तू वो आशिक़ जिसको मालूम सारे राज़
नज़्में लिखता पूरी रात
रोता कमरे में अकेला
सिर्फ कलम है और किताब

सिर्फ कलम है और किताब
खाली ग़म है और शराब
बिखरा अंदर से मकान
घर की बंजर सब दीवार
साँस लेना भी अज़ाब
अक्स अपना ढूंढने तू आया
समुंदर के पास
रोज़ जीना, रोज़ मरना
तेरी आदत में जनाब
समुंदर क्या बताऊँ मेरे राज़ कितने सारे हैं
घाव ये पुराने, पर ये घाव कई सारे हैं

उसके बारे में बताऊँ? है किताब भी तड़प रही
हैं नज़्में सब पुरानी, पर वो नज़्में कई सारी हैं

अभी ग़म में क्या गिनाऊँ
इन दीवारों से बात करो
या फिर जा समुंदर
इन किताबों से बात करो
तुम किसी को मना लो तो मैं वापस लौट जाऊँगा
कोई न माना, ख़त्म कहानी, लगाम भरो

नी ऊ मौसमां दे वांगु हाए बदल गए
मैं वी जानदी सी दिल च तेरे चोर ए
नी मैं रातां बीतावा तेरी याद च
तू तां आखदा सी तेरा चन्न कोई होर ए

नी ऊ मौसमां दे वांगु हाए बदल गए
मैं वी जानदी सी दिल च तेरे चोर ए
नी मैं रातां बीतावा तेरी याद च
तू तां आखदा सी तेरा चन्न कोई होर ए
नी जो अम्बरां दे उत्ते लिशके
लादू तेनु तारे नी
बैठी ज़रा कोल जा होके
दस दे की कारे नी

तेरे लाई जान सोणेया
हथी चक्की फिरदी आ
तू वी नई सुन्दा लगदा
तां ही मैं लिखदी आ
तेरे लाई होर की मंगा
तेरे ते सब कुछ वारूं
अखां च रड़के तू ही
तेरे ते दिल वी हारूं

लगदा बस मैं ही एथे
खड़ी कोई दूर जेही
बैठी मैं बैठी चन्ना
तेथों बड़ी दूर जेही
तू वी मेनू राह च रोलता
हो गई मजबूरी बड़ी
बैठी मैं बैठी चन्ना
तेथों बड़ी दूर जेही
मजबूर सा दफ़न मैं तेरी याद में हूँ
मशहूर मैं इश्क़ में पागल नाम से
क़बूल जो किया होता ये इश्क़ मेरा तूने
तुझको मोहब्बत दिखाता मैं इनाम में वो
जो तूने देखी ना, सिर्फ पढ़ी हो किताबों में सारी
जो लिखते शायर सिर्फ किताबों में रूहानी सी शायरी
दिखाता कैसे मैं देखूं तुम्हें इन नज़रों से प्यारी
कैसे तू कड़ी धूप में छांव और राहत है लाती
मैं करता आँखें बंद, खड़ी मेरे सामने महबूबा मेरी
आँखें बंद, सपनों में वो पास में आती
फिर तेरा हाथ थाम के नज़रे हाथों पे गई
अंगूठी मेरी दी हुई थी, पहनी जच रही थी प्यारी
फिर वही इश्क़ के समुंदर किनारे की बातें
कुछ साल पहले कैसे डूबे इस समुंदर में सारे
तेरी मुस्कान में अभी भी मुझे रौनक सी दिखे
तेरी मुस्कान भुला दे ग़म मेरा,
ओ परियों की रानी
नी ऊ मौसमां दे वांगु हाए बदल गए
मैं वी जानदी सी दिल च तेरे चोर ए
नी मैं रातां बीतावा तेरी याद च
तू तां आखदा सी तेरा चन्न कोई होर ए
नी ऊ मौसमां दे वांगु हाए बदल गए
मैं वी जानदी सी दिल च तेरे चोर ए
नी मैं रातां बीतावा तेरी याद च
तू तां आखदा सी तेरा चन्न कोई होर ए
नी ऊ