Shauq
Amit Trivedi
4:17उसकी बातों में खनक है उसकी आँखों में उदासी उसके चलने में लचक है पर वो सहमी है ज़रा सी उसकी बातों में खनक है उसकी आँखों में उदासी उसके चलने में लचक है पर वो सहमी है ज़रा सी उसके भीतर एक अगन है (हा आ) पर वो शीतल है हवा सी (हा आ) वैसे नाज़ुक है ज़री सी (हा आ) चुभती भी है अच्छी खासी मेरी जान जान जान मेरे दिल का ये मकान मेरी जान जान जान मेरे दिल का ये मकान टूटा फूटा ही सही तू बन जा इसका मेहमान मेरी जान जान जान मेरे दिल का ये मकान मेरी जान जान जान मेरे दिल का ये मकान दर्द की एक टीस है तू और है खुशियों की मुनादी ज़ख्म है तू गहरा दिल का तू ही मरहम भी है साथी यादों वाली ख्वाबों वाली हर गली क्यों तुझको भाती तू खयालों में तो रहता पर समझ ना तुझको पाती मेरी जान जान जान मेरे दिल का ये मकान टूटा फूटा ही सही तू बन जा इसकी मेहमान मेरी जान जान जान मेरा इतना कहना मान दो अधूरी सांसें मिलकर कर ले ज़िंदगी आसान के तेरे बिन जिया नहीं जाए के चैना ना आए तेरे बिन के तेरे बिन जिया नहीं जाए (हो हो) के चैना ना आए तेरे बिन (हो हो)