Main Vasudev Krishna
Vayuu
4:07(कोई नियम किसी यज्ञ, किसी विधि की आवश्यकता नहीं होगी शिव तो बस एक बेलपत्र पे भी खींचे चले आएगे ) Verse 1 मिले शमशान में, समाधि लगाए वो ध्यान में बस रहे किसी के स्वास में, या हर रहे किसी के प्राण वें रहते हैं वो तो विश्वास में, या मेरे इस हृदय के स्थान पे अपनी भाँग की लत को जोड़यो कभी ना भोले के नाम से पिए वो हलाहल, तभी तो जीवित हैं सारे इस धरा पर ओमकार वो सनातन, त्रिशूल पे रखते काल को नचाकर ब्रह्माण्ड के रचयिता, रखें ग्रहो को पाव की धूल वो बनाकर ओ पशु को खाने वाले, पशुपति की तीसरी आँख बचा कर वो करे नेत्र बंद तो अंधकार, तीजी आंख खुले तो त्राहिमाम गले रुद्राक्ष, रहे माथे चंद्र, जटा गंगा बहती, तन भस्म राख यक्ष रूप, पहिने वासुकी हार पिनाक धनुष, संग डमरू हाथ वो हैं अर्ध नग्न, रहे नंदी साथ, जो की स्वयंभू हैं करे तांडव नाच परिभाषा वो परोपकार की, परिभाषा है प्रलय की हर लोक में उनका नाम गूंजे, नक्षत्र ये दास हैं सारे ही कही जो बोले कोई नमः शिवाय, इतने में ही भोला रीझ जाये कर्पूरगौरं करुणावतारं, त्रियम्भक कैलाश पति Hook अमृत को त्याग के पीते जो हलाहल वही तो है मेरे महादेव बेल के पत्र से स्वीकारे दास को वही तो है मेर महादेव सोने के महल को दान कर जिनका हैं स्वयं शमशान ही घर देव और दैत्य सबके आराध्य, वही तो हैं मेरे महादेव हर हर महादेव मेरे महादेव हर हर महादेव वो है महादेव (X2) Verse 2 रीझ जाए मेरे महादेव, शिवलिंग पे बस तू जल चढ़ा शिवलिंग का श्रृंगार कर, थोड़े बेल पत्र, थोड़े फूल चढ़ा अनाथो का है नाथ भोला, बेघरो का वो ही ठिकाना है वो सब दे देता औघड़ दानी बड़ा ही भोला भला है चले ये प्राण तो भोला है मुझमें, निकले ये प्राण तो भोले में मैं समय था बुरा और गिर रहा था मैं, तो शिवा के हाथों में आ गिरा मैं वो ही तो है सबके कर्ता धर्ता, रमें वही तो काल, अकाल में हैं अकाल मृत्यु रहे भयभित उससे नाम जो बैठा महाकाल जपे स्वर्ग नर्क सब पैरो तले, सहज सरल कभी भैरो बने हरि ही हर है हर ही हरि, जनम मृत्यु सब उनमें पले कालकूट की तरह सभी के हृदय का विष भी पी वो चले वेदो शिवम, शिवो वेदम, जो मौन पे चले वो शिवमय बने काल हर कष्ट हर, दुःख हर, दरिद्र हर रोग हर, पाप हर, हर हर महादेव दया दिखा, कर्म कर तो महादेव को स्वयं के साथ देख या पाप कमा, अधर्म कर तो फिर खुलती तीसरी आँख देख ( जब आवश्यकता श्रद्धा की हो, शक्ति की अपेक्षा व्यर्थ है शिव को पाने का सबसे सरल माध्यम श्रद्धा ही तो है ) Hook अमृत को त्याग के पीते जो हलाहल वही तो है मेरे महादेव बेल के पत्र से स्वीकारे दास को वही तो है मेर महादेव सोने के महल को दान कर जिनका हैं स्वयं शमशान ही घर देव और दैत्य सबके आराध्य, वही तो हैं मेरे महादेव हर हर महादेव मेरे महादेव हर हर महादेव वो है महादेव (X2)