Ehsaas
Faheem Abdullah
3:53हम ना सुनेंगे इक भी तेरी बस अब और बहाना नहीं तब तक जब तक मैं ना कहूँ उठ के कहीं भी जाना नहीं तब तक जब तक मैं ना कहूँ उठ के कहीं भी जाना नहीं ये रात बाक़ी है अभी बात बाक़ी है नींद तुझे आ जाए तो बाँहों में सो जाना यहीं तब तक जब तक मैं ना कहूँ उठ के कहीं भी जाना नहीं तब तक जब तक मैं ना कहूँ उठ के कहीं भी जाना नहीं आसमाँ में हैं बादल थोड़े से हो रहे हैं हम पागल थोड़े से आज इस रात में भीगें बरसात में दोनों इक साथ में, ओ-रे, पिया कुछ मत बोलो, ज़ुल्फ़ें खोलो हाथ में रख दो हाथ, पिया ज़रा पास तो आओ मेरी प्यास बुझाओ कहने लगा हूँ आज मैं जो जाके किसी को बताना नहीं तब तक जब तक मैं ना कहूँ उठ के कहीं भी जाना नहीं तब तक जब तक मैं ना कहूँ उठ के कहीं भी जाना नहीं पास यूँ आके साँसें काँपे गहरी आँखें, उफ़, ये तेरी! लागे मुझको छूकर तुझको जाएगी, हाय, जान मेरी सौ जिंद वारूँ, तुझको सँवारूँ चाँद उतारूँ तेरे लिए सूना घर है, किस का डर है? है तू यहाँ पर मेरे लिए हो जाएँ, आ, पागल बेक़ाबू है Sagar रहना है तेरे दिल में मुझे मेरा कोई और ठिकाना नहीं तब तक जब तक मैं ना कहूँ उठ के कहीं भी जाना नहीं तब तक जब तक मैं ना कहूँ ...जाना नहीं