Koi Patta Bhi Hila (Part - 1)
Mohd. Aziz | Kavita Krishnamurthy
6:38आ आ आ छल छल छलके इन आंखों की गगरिया छल छल छलके इन आंखों की गगरिया ये ज़ालिम जवानी तड़पाए मलमल की ये हल्की चुनरिया कि जितना संभालूं गिर जाए छल छल छलके इन आंखों की गगरिया, ये ज़ालिम जवानी तड़पाए मलमल की ये हल्की चुनरिया कि जितना संभालूं गिर जाए छल छल छलके इन आंखों की गगरिया छल छल छलके इन आंखों की गगरिया अपने ही चंचल मन को कोसू कहे को निकली थी बजरिया कहे को निकली थी बजरिया किसने नज़रियां के तीर चलाए छलनी हो गई मोरी चुनरिया मोरी चुनरिया, मोरी चुनरिया देखो रे सखी कहीं भाग न जाए मोहे करके वो ज़ख्मी हाय छल छल छलके इन आंखों की गगरिया छल छल छलके इन आंखों की गगरिया रुक रुक एक मधुबन की हिरनिया रुक रुक एक मधुबन की हिरनिया कन्हैया तोरी नगरी में आए एक झलक बस दरस दिखा दे कहे चुनरी में मुखड़ा छुपाए रुक रुक एक मधुबन की हिरनिया रुक रुक एक मधुबन की हिरनिया अपना भी दिल प्रेम दीवाना तुम्हारा अकेला दोष नहीं अपना भी दिल प्रेम दीवाना तुम्हारा अकेला दोष नहीं आया कहां से जाना कहां है इतना भी अब तो होश नहीं तोहरी नगरीया की उलझी डगरिया हो तोहरी नगरीया की उलझी डगरिया हो जैसे जोगनिया हो लट उलझाए रुक रुक एक मधुबन की हिरनिया रुक रुक एक मधुबन की हिरनिया धरती चले आकाश को छूने धरती चले आकाश को छूने लेके उठे जब अंगड़ाई पर कितना है भोला तू परदेसीया तोरी अक़ल पे मैं शरमाई तोरी अक़ल पे मैं शरमाई होते हैं जवानी के दिन ऐसे जैसे चिड़िया के पर लग जाए छल छल छलके इन आंखों की गगरिया, ये ज़ालिम जवानी तड़पाए मलमल की ये हल्की चुनरिया कि जितना संभालूं गिर जाए रुक रुक एक मधुबन की हिरनिया कन्हैया तोरी नगरी में आए एक झलक बस दरस दिखा दे कहे चुनरी में मुखड़ा छुपाए हा आ आ आ आ